Dear Rubab Bhaiya,
Actually, I have no words to express my internal pain, unbearable sorrow, and disappointment to see you left us with a pleasant smile keeping in your face.
I will never forget the day, you shifted to Godda, and had come to Boarijore block to serve the community from a different perspective, full of passion. I was a newcomer to this development sector, but the way you trained me, taught me and mentored me in the field and at my personal level, I will never forget. Day, by day time passed, and don't know when you became so close to me and became part of my family, part of my life. We had a lot of cherishable, enjoyable, and delightful moments in the Mohanpur office and at the field as well. Every time, you scolded me, cared for me, and mentored me like my older brother. And that was the reason, why I started calling you "Bhaiya". छोटी सी छोटी चीजों को लेके बात करना, समझाना, और अपना वो मंडल जी के पास जाके सुबह का खाना खाके फील्ड निकलना , शायद मैं कभी भी उसको भूल नहीं पाऊंगा ..... टीम मीटिंग में हमारे मुझे सपोर्ट करना, चाहे मेरी गलती ही क्यों ना हो, वो एक बड़ा भाई ही कर सकता है .... आपको याद है, जब आपका सितम्बर , 2013 में फेयरवेल हो रहा था , वो मैं ही था जो सी आर पी मीटिंग में बच्चे की तरह फुट फुट कर रो रहा था. तो आपने बोला कि "ऐसे काहे रो रहे हो, बोआरीजोर से जा रहे है , दुनिया से नहीं जा रहे है " . और आज देखिये भैया आप दुनिया से भी चले गए ... ये बहुत गलत किया आपने ..आपने वादा किया था कि विनय , ये कोरोना ख़तम होने के बाद कंही फॅमिली ट्रिप पे जायेंगे , कंही तुम्हारा भाभी को कंही घुमा नहीं पाया हूँ.. और देखिये, आपने अपना वादा तोड़ दिया भैया , आपसे ये उम्मीद नहीं की थी मैंने ...
You are the only person, through which I could start a new life with family after leaving godda, and it's you, who changed my personal & professional life, way of thinking, and I could become a good human being.
ऐसा हंसमुख , जिंदादिल इंसान शायद ही मैं अपने जिंदगी में देखा हूँ. जब भी आपसे बात होती थी , एक खिलखिलाहट वाली मुस्कान , एक बड़े भाई वाली प्यार एवं दुलार , एक गाइड के तरह हर छोटी से छोटी चीजो को लेके समझाना , मई हमेशा याद रखूँगा.
इससे ज्यादा मैं लिख नहीं पाउँगा , भैया, बहुत रोने का मन कर रहा है और रो रहा हूँ...
लेकिन, आप जन्हा कंही भी रहे, सितारों की तरह हमेशा चमकते रहेंगे और आप हमेशा मेरे दिल में, दिमाग में, मेरे जेहन में, और मेरी आत्मा में हमेशा जिन्दा रहेंगे..
एक छोटी सी पंक्तियाँ है आपको दिलो-जान से समर्पित भैया
जब मौत चन्द कदमों के फासलों पे खडी हो, तो निर्विकार भाव से तब हिमालय की तरह अटल जिंदगी को जश्न की तरह जीने का मतलब ही कुछ और होता है ,
सांस का हर डोर , जिसका एक सिरा थाम रखा हो, निर्दयी काल ने,
सिर्फ तभी दिल के हर धड़कन की एक रिदम की तरह जीवन की हर ले में बांधना जरूरी है.
कला जब हम नहीं होंगे, जिंदगी की हर ख़ुशी और मातम में हिस्सेदारी बनकर ,
जिन्दा रहेंगी , हमारी गूँज , अनुगूंज बनकर
सादर प्रणाम और ढेर सारा प्यार आपको .
इश्वर/अल्लाह आपको जन्नत बख्से और अपने चरणों में स्थान प्रदान करें .
आपका भाई
विनय राणा