मनु,
दस वर्ष होने को आये ,पर एक बार सपनें में भी तुम नहीं आये ।
याद है जब तुम आज के दिन घर पहुँचते थे रात में।
आते ही घर की दीवारों पर देखते थे माँ के हुनर को तस्वीरों की क़तार में,
टेबल पर माँ तुम्हारे जन्मदिन का केक काटने की बाट जोहती,
पर तुम पहले माँ की तारीफ करते घर को देख देख कर।
याद है ,आज के दिन बहिन तुम्हारी खीर बनाती,खेल खिलाती आँखें भींच भींच कर।
पहले यज्ञ हवन कर ,फिर फूल बरसाती तुम्हारे शीश पर।
आज भी हम सब वही कर रही है तुम्हारे जन्मदिन पर ,
बस आस है तुम्हारी एक झलक पा जाने की ।
आशीष नहीं दे सकती हैं कि तम जुग जुग जियो।
तुम तो अमर हो गये हो पर फिर भी आशीष है कि जहाँ गये ,जैसे हो ,सुखी रहो।
जन्मदिन की शुभकामनायें हम सब की स्वीकार करो।
मममी ,गुडिया
29.12.2017