आदरणीय स्वर्गीय : मामा जी ....
आज आपके जाने के बाद ...
मुझ को याद आता, है वो पल
जब दीवाली के , शुभ अवसर पर, आपने सप्रेम, मुझको पहली बार प्यारा सा उपहार दिया । वो
" रिस्ट वॉच... "
जो कि मुझको बहुत प्रिय थी।
उस उपहार को देते समय ,
मेरे प्रति ,आपके मन में ,
जो स्नेह ,व विचार ,
उस समय रहा होगा ,
उसे महसूस कर
कुछ पंक्तियां अनायास ही मेरे मन में आती हैं....
दिया मुझको " समय " सोच कर ...
के, उसे मैं संवार सकूँ ...
अपनी खुशियों के रंग भर उसमें ...
उसे ,और मैं थोड़ा निखार सकूँ। ,...
बनकर स्नेह, आशीष आपका....
वो समय , ही तो मेरे साथ रहा...
दिया वो जो लाड - दुलार, आपने....
वो ....हर -पल मुझको याद रहा ।
आज कहती हूँ उसी समय को ,
काश ....वो फिर से लौट आये ...
उस विराट वृक्ष की, कोमल छाया ..
हमको, फिर से ....मिल जाये ।
जानती हूँ ...
जाने वाले ,आते हैं नहीं लौट कर।...
जानें, फिर भी क्यों? मैं याद करूँ ...
जिन हाथों...मैं है, बचपन बीता ,
फिर से क्यों ना। उनकी आस करूँ।